देहरादून। पुलिस प्रमुख अशोक कुमार ने 4600 के ग्रेड पे मसले पर उत्तराखंड के पुलिसकर्मियों को सच्चाई बताने की जिम्मेदारी अब पुलिस कप्तानों को सौंपी है। उन्हें बताया जाए कि पुलिस मुख्यालय ने 4200 का नहीं 4600 ग्रेड पेय का प्रस्ताव दिया है। सरकार को यह भी बताया है कि पुलिस जवान विषम परिस्थितियों में सबसे ज्यादा ड्यूटी करता है।
ग्रेड पेय के मुद्दे पर पुलिसकर्मियों के परिजनों के आंदोलन को पुलिस मुखिया ने गम्भीरता से लिया है। पुलिस कप्तानों की वीडियो कांफ्रेंस के दौरान डीजीपी का पूरा फोकस ग्रेड पेय को लेकर देहरादून और रूद्रपुर में पुलिस कर्मचारियों के परिजनों के आंदोलन को लेकर रहा। उन्होंने कहा कि परिजनों का आंदोलन पुलिस महकमें को कमजोर करता है। कुछ लोगों ने ग्रेड पेय को लेकर कई तरह की भ्रांति फैला रखी है। उन्हें नहीं पता कि पुलिस मुख्यालय उनके साथ खड़ा है। पुलिस कर्मियों की मांग के अनुरूप ही शासन को 4600 के ग्रेड पेय का ही प्रपोजल दिया हुआ है। यही नहीं सरकार तक उनकी लड़ाई को लड़ा है और आगे भी ग्रेड पेय दिलाने के प्रयासों में कमी नहीं दी जायेगी। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस कर्मियों और उनके परिजनों को यह सच्चाई बताने की जरूरत है। पुलिस कप्तान यह काम बेहतर ढंग से कर सकते है। यह काम काफी पहले हो जाना चाहिए था। हर कर्मचारी पुलिस परिवार का हिस्सा है और पुलिस मुख्यालय उनके सुख और दुख में उनके साथ है। ऐसे में उसे पूरी सच्चाई का पता होना चाहिए। आंदोलन में शामिल हुए पुलिस कर्मचारियों के परिजनों की भी काउंसलिग करने की जरूरत है, ताकि उन्हें वास्तु स्थिति का पता रहे। अब देखना यह है कि डीजीपी के निर्देशों का जिले के पुलिस कप्तान कितना अनुपालन करते है।
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ग्रेड पेय को सियासत में फंसाने का खेल
4600 के ग्रेड पेय के मसले को एक बार फिर सियासत के दांव पेंच में फंसाने के लिए कुछ लोग सक्रिय हो गए है। दरसअल 4600 के ग्रेड पे का लाभ देने का मसला नया नहीं है। शासन कई बरस से इसे टालकर पुलिस कर्मियों को तड़पाता आ रहा है। 17 फरवरी 2017 को हरीश रावत सरकार में 4600 के बजाए दिल्ली पुलिस की तर्ज पर 2800 और 4200 ग्रेड पेय देने का फैसला हुआ था। पुलिस कर्मचारियों के परिजनों के आंदोलन का समर्थन करने वालों में उत्तराखंड क्रांति दल के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल रहें है। एक वर्ग इसी को लेकर सियासत करने लगा है कि यदि सरकार ने कोई फैसला लिया तो विपक्ष उसका लाभ उठा ले जायगा। उधेड़बुन में फंसी सरकार कोई फैसला नहीं ले पा रही है। फिलहाल पुलिस कर्मचारियों का परिवार सरकार के फैसले पर टकटकी लगाएं है।