बड़े ही भव्य तरह से हुआ माता मूर्ति देवी का समापन

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उत्तरभारत/ जोशीमठ:  बद्रीनाथ धाम में स्थित माणा गांव के माता मूर्ति नामक स्थान पर प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता मूर्ति महोत्सव का आयोजन किया गया। पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार वामन द्वादशी के दिन भगवान बद्री विशाल अपनी मां मूर्ति देवी से मिलने माता मूर्ति पहुंचे। शुक्रवार को सुबह दस बजे भगवान को बाल भोग लगने के बाद बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व अन्य वेदपाठी भगवान की चल मूर्ति उद्धव जी के साथ माणा गांव में स्थित माता मूर्ति देवी के मंदिर पहुंचे।जहां साल भर बाद नारायण अपनी माता मूर्ति देवी से मिले और मां से संवाद किया। नारायण के साथ माणा गांव पहुंचे रावल,धर्म अधिकारी और वेद पाठकों ने भगवान की पूजा संपन्न की। जिसके बाद भगवान नारायण ने अपनी मां मूर्ति देवी के साथ दोपहर का मुख्य भोग ग्रहण किया। तत्पश्चात भगवान नारायण मां मूर्ति देवी से विदा मांग कर बद्रीनाथ मंदिर लौट आए इस दौरान सुबह दस से दोपहर तीन बजे तक बद्रीनाथ मंदिर बंद रहा।कोरोना रोधक नियमों को ध्यान में रखते हुए बद्रीनाथ धाम से माणा गांव तक भगवान की इस शोभायात्रा में अधिक लोग शामिल नहीं हो सके। कुछ साधु संत और स्थानीय लोग ही भगवान की इस शोभायात्रा में शामिल होकर माणा गांव पहुंचे और मां पुत्र के इस अलौकिक मिलन के दर्शन किए। इस अवसर पर स्थानीय महिलाओं द्वारा पौराणिक नित्य आदि भी किए गए।

क्षेत्रपाल घंटा कर्ण ने दिया था मेले का निमंत्रण…..

भगवान बद्री विशाल को माता मूर्ति देवी के मंदिर पहुंचने का निमंत्रण देने गुरुवार को माणा गांव के क्षेत्रपाल घंटाकर्ण की मूर्ति को सजा धजा कर पौराणिक परंपरा के अनुसार माणा गांव के स्थानीय लोग बद्रीनाथ पहुंचे थे। जहां भगवान घंटाकर्ण के पशुवे ने अवतरित होकर भगवान बद्री विशाल को माता मूर्ति देवी के मंदिर पहुंचने का निमंत्रण दिया था। जिसके उपरांत माणा गांव में स्थित माता मूर्ति मंदिर में इस भव्य मेले का आयोजन किया गया।

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