उत्तरभारत / पिथौरागढ़ : जब भी हम सरकारी स्कूलों के बारे में सुनते हैं, तो हमारी सोच केवल एक ही बात पर अटक जाती हैं। वहा की अर्थव्यवस्था ख़राब होगी इससे अच्छा तो हम अपने बच्चे को वहा पढ़ाए जहां उसे फैसिलिटी भी ज्यादा मिले और साफ़ सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाए। परन्तु हम ऐसी सुविधा के चक्कर में अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूल में डाल देते हैं। लेकिन आज जिस स्कूल के बारे में हम आप सभी को बताना चाहते हैं। वह पिथौरागढ़ में हैं और स्कूल का नाम “गुरना प्राइमरी स्कूल” हैं। जी हां, यह स्कूल आप देख कर अंदाज़ा नहीं लगा सकते हैं की पहले यह स्कूल एकदम सरकारी के भांति दिखाई देता था। परन्तु जब इसकी अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया तो आप नतीजा आपके सामने हैं। आगे पढ़े
शानदार ट्रांसफॉर्मेशन जर्नी के बारे में जाने
साल 2015 से पहले इस स्कूल की हालत भी दूसरे सरकारी स्कूलों जैसी ही थी। छात्र संख्या कम होने के चलते स्कूल बंद होने की कगार पर था। तब प्रधानाध्यापक के तौर पर यहां सुभाष चंद्र जोशी की तैनाती हुई। उन्होंने यहां की समस्याओं पर मंथन किया, साथ ही इन्हें दूर करने के प्रयास भी करने शुरू कर दिए।
उन्होंने स्कूल में हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इस कोशिश के शानदार नतीजे निकले और कुछ ही दिनों में स्कूल में छात्र संख्या 150 से ऊपर पहुंच गई। जो बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे, उन्होंने सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया। यही नहीं खंड शिक्षा अधिकारी के बच्चे भी गुरना के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने के लिए आने लगे। पिछले 5 सालों में यहां सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, मध्याह्न भोजन के लिए हॉल बनवाया गया, साथ ही हर कक्षा में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई। इन कार्यों के लिए जनसहयोग के जरिए 30 लाख की धनराशि जुटाई गई है। अब स्कूल में एसी भी लग गया है। इस तरह बच्चों को अब गर्मी और सर्दी के मौसम में पढ़ाई के वक्त किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। गुरना प्राथमिक विद्यालय की आज हर जगह तारीफ होती है। इस स्कूल और यहां के शिक्षकों ने साबित कर दिया कि अगर मन में कुछ बेहतर करने की इच्छा हो तो सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलते देर नहीं लगेगी।