नवरात्रो में माँ चंडी के मंदिर में चले आए …

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उत्तरभारत / हरिद्वार : इस नवरात्रो में आप सभी हरिद्वार के माँ चंडी मैया के मन्दिर आना न भूले, कहते हैं यहां जो भी श्रद्धालु यहां पर अपने दिल से मनोकामना करता हैं साथ ही लाल धागा भी बांधता हैं। उसकी सारी मनोकामना पूरी होती हैं …इस प्राचीन मंदिर में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। गंगा से सटे नील पर्वत पर मां चंडी का दरबार आदि काल से है। मां चंडी देवी से मांगी गई मुराद के लिए यहां पर मंदिर में धागा बांधा जाता है। आगे पढ़े …

जानते हैं कामना पूरी करने पर भक्तो को क्या करना होता हैं …

कामना पूरी होने पर भक्तों को इस धागे को खोलने के लिए यहां आना पड़ता है। मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 3 किलोमीटर पैदल चल कर कठिन चढ़ाई को पार करना पड़ता है। मां चंडी देवी मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर दूर है। यहां ऑटो, बैटरी रिक्शा, टैक्सी के अलावा उड़नखटोले (ट्रॉली) से भी पहुंचा जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी जगह पर मां चंडी ने खंभ के रूप में प्रकट होकर दैत्य शुंभ-निशुंभ का वध किया था। इसके बाद देवताओं के निवेदन पर मां चंडी इसी स्थान पर विराजमान हुईं। 8वीं शताब्दी में मां चंडी देवी के मंदिर का जीर्णोद्धार जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने विधिवत रूप से कराया था। हरिद्वार में मां चंडी देवी के दरबार में श्रद्धालु दूर-दूर से हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। यहां मां चंडी आदिकाल से अपने भक्तों का कल्याण कर रही हैं।

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